जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद और ब्राह्मणवादी ताकतों को मजबूत करने तथा जनता का ध्यान भटकाने...
तिलक द्वारा शुरू किए गए इस उत्सव को उनके शिष्यों द्वारा लगातार विकसित किया गया और बढ़ाया गया, लेकिन जोतीराव फुले और शाहूजी महाराज के सत्यशोधक आंदोलन को उनके शिष्यों एवं समाज द्वारा (ओबीसी और...
जब कर्मकांड ब्राह्मणों की आजीविका और पद-प्रतिष्ठा का माध्यम बन गए, तो प्रवृत्तिमूलक शाखा को भारत की प्रधान अध्यात्म परंपरा सिद्ध करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कभी धर्म-शास्त्रों की आड़ में,...
पारंपरिक लिखित इतिहास के हाशिए पर रहे समूहों को केंद्र में रखकर बनाई गई पा. रंजीत की नई फिल्म ‘तंगलान’ भारत के अतीत और उसके ज़रिए उसके वर्तमान को समझने के नए रास्ते प्रदान करती...