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सम-सामयिकी

‘फुले’ फिल्म को साजिशन अर्थहीन बनाती सेंसर की कैंची
फिल्म को मूलतः 11 अप्रैल – जोतीराव फुले की जयंती – के मौके पर रिलीज़ किया जाना था। मगर अब इसे 25 अप्रैल को रिलीज़ किया जाएगा। क्यों? कारण है अखिल-भारतीय ब्राह्मण समाज और परशुराम...
डॉ. अतुल कृष्ण बिस्वास : एक अदम्य साहसी आंबेडकरवादी चिंतक
1973 में आईएएस की नौकरी ज्वाइन करने पर उन्हें बिहार के अनेक जिलों में जाने का अवसर मिला। अपने स्वभाव के कारण नेताओ के बहुत प्रिय नहीं थे। उनकी पढ़ने में इतनी दिलचस्पी थी कि...
हिंदुत्व में शूद्र : आत्मा-विहीन शरीर
अगर आप किसी समुदाय को पुरोहित बनने ही नहीं देंगे, अगर आप उसे आध्यात्मिक दर्शन का ज्ञान हासिल ही नहीं करने देंगे तो उस समुदाय का पिछड़ जाना अवश्यंभावी है। आरएसएस और भाजपा चाहते हैं...
भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में भूमिहारों का दबदबा, कुलपति पर लगे आरोप
विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेशचंद्र राय के खिलाफ राजभवन को विगत मार्च महीने में 11 पेज का एक शिकायती पत्र दिया गया। शिकायतकर्ता रजनीश कुमार सिंह ने इस पत्र में 43 में से 17 कालेजों में...
पसमांदा को नुमाइंदगी देने की नहीं, सरकार की मंशा जमीन हड़पने की है : अली अनवर
वक्फ करना धार्मिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इसे कोई गैर-इस्लामी कैसे संचालित करेगा? मैं कहता हूं कि क्या...
बोधगया मंदिर में हिंदुओं के वर्चस्व के खिलाफ बढ़ता जा रहा बौद्ध धर्मावलंबियों का आंदोलन
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम एंड ऑल बुद्धिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय महासचिव आकाश लामा...
‘इन गलियों में’ : संप्रदायवादी सवालों से टकराती फिल्म में दिखा उच्च जातीय अंतर्द्वंद्व
फिल्मकार अविनाश दास ने एक साथ कई सवालों पर निशाना साधा है। मसलन, वह जाति-प्रथा पर भी चोट...
यह चर्चा क्यों नहीं होती कि डॉ. आंबेडकर प्रथम प्रधानमंत्री होते तो क्या होता?
किसी नेता ने यह कहने की हिम्मत नहीं की कि आजादी के बाद अगर डॉ. आंबेडकर देश के...
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