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सम-सामयिकी

जंतर-मंतर पर गूंजी अर्जक संघ की आवाज – राष्ट्रपति हो या चपरासी की संतान, सबकी शिक्षा हो एक समान
राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार भारती ने मांगों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसके पूर्व भी संघ के संस्थापक महामना राम स्वरूप वर्मा, भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनाथ सिंह यादव और शिवराज सिंह के...
दलित विमर्श की सहज कहानियां
इस कहानी संग्रह की कहानियों में जाति के नाम पर कथित उच्‍च जातियों का दंभ है। साथ ही, निम्‍न जातियों पर दबंग जातियों द्वारा किए गए अत्‍याचार, सामाजिक अन्‍याय के प्रसंग भी। ‘नपुंसक’, ‘तुम लौट...
चौबीस साल का हुआ झारखंड : जश्न के साथ-साथ ज़मीनी सच्चाई की पड़ताल भी ज़रूरी
झारखंड आज एक चौराहे पर खड़ा है। उसे अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और आधुनिकीकरण व समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी कदम उठाने के बीच संतुलन कायम करना है। राज्य के...
घुमंतू लोगों के आंदोलनों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वेब सम्मलेन
एशिया महाद्वीप में बंजारा/घुमंतू समुदायों की खासी विविधता है। एशिया के कई देशों में पशुपालक, खानाबदोश, वन्य एवं समुद्री घुमंतू समुदाय रहते हैं। इसके बाद भी घुमंतू लोगों की दोनों वैश्विक संस्थाओं ने अब तक...
कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान-2023 से नवाजे गए उर्मिलेश ने उठाया मीडिया में दलित-बहुजनाें की भागीदारी नहीं होने का सवाल
उर्मिलेश ने कहा कि देश में पहले दलित राष्ट्रपति जब के.आर. नारायणन थे, उस समय एक दलित राजनीतिक...
छत्तीसगढ़ में सिविल सोसाइटी बनाम जातिवाद एवं ब्राह्मण वर्चस्व
मेट्रो सिटी में बैठे सवर्ण सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पीयूसीएल, छत्तीसगढ़ के स्थानीय दलित-आदिवासी और महिला नेतृत्व को हाशिये...
‘कितने अर्थशास्त्री किसी कारखाने के अंदर गए हैं?’
प्रोफेसर ज्यां द्रेज़ का कहना है कि शैक्षणिक समुदाय का भारत की राजनीति में कोई ख़ास प्रभाव नहीं...
अकादमिक शोध में आचार्यों का खेल– सब पास, आदिवासी फेल
विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले दो दशकों में प्राध्यापक बने आदिवासियों का अनुभव भी कम भयानक नहीं है। वे...
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