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रंगमंच

‘निर्मल पाठक की घर वापसी’ : एक घिसी-पिटी गांधी की ‘हरिजनवादी’ कहानी
फिल्मों व धारावाहिकाें में दलितों में हमेशा चेतना सवर्ण समुदाय से आने वाले पात्रों के दखल के बाद ही क्यों आती है? जिस गांव के लोग इतने जागरूक हों कि एक सरकारी विद्यालय में आंबेडकर...
‘निर्मल पाठक की घर वापसी’ : एक घिसी-पिटी गांधी की ‘हरिजनवादी’ कहानी
फिल्मों व धारावाहिकाें में दलितों में हमेशा चेतना सवर्ण समुदाय से आने वाले पात्रों के दखल के बाद ही क्यों आती है? जिस गांव के लोग इतने जागरूक हों कि एक सरकारी विद्यालय में आंबेडकर...
राजनीतिक संदेश दे गया केजरीवाल का ‘बाबासाहेब म्यूजिकल’
नाटक में संविधान निर्माण को बेहद आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस प्रसंग में डॉ. आंबेडकर द्वारा संविधान के प्रस्तावना के पाठ ने दर्शकों को उत्साहित कर दिया। हालांकि हिंदू कोड बिल प्रकरण को...
मूकदर्शक नहीं, सहभागी होते हैं आदिवासी : मेघनाथ
आदिवासियों की संस्कृति में समानता की बात होती है। इसे मैं एक उदाहरण देकर समझता हूं। मान लें कि कोई सामंतवादी है। वह कहीं डांस देखने जा रहा है। वह जिसका डांस देख रहा है,...
स्त्री-रंगकर्म में कथानक की समय-सापेक्षता
स्त्री जीवन की चुनौतियां क्या हैं और क्या हमारा रंगकर्म उनकी तरफ मुखातिब हैं? अभी संबंधों के अवगुंठन...
दुनिया में अनुकरणीय रहा है भारत के आदिवासियों का प्रकृति प्रेम
आदिवासी केवल प्रकृति की पूजा ही नहीं करते, वे उनकी रक्षा के लिए लड़ने-मरने से भी पीछे नहीं...
भिखारी ठाकुर : बहुजन चेतना के महान लोक कलाकार
भिखारी ठाकुर ने जब अपना नाच शुरू किया तब धर्म एवं धार्मिक कथाओं आधारित बिदापत नाच, रामलीला, रासलीला...
हिंदी फिल्मों में इन कारणों से नायक नहीं होते दलित, आदिवासी और पिछड़े
यह सही है कि फिल्में मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं और उनसे किसी सामाजिक क्रांति...
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