h category

खोज

नजरिया : ओबीसी का धर्म
कुल समाज जब गणराज्य के रूप में संगठित हुआ, तब उस समय गणों के सभागृह में सबसे पहले जिस कानून का मंजूरी दी गई, वह कुल बाह्य विवाह का कानून था। इस प्रकार भारतीय मूलनिवासी...
बहस-तलब : ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ क्या वेद वाक्य है?
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ जैसी तमाम उक्तियों को ढाल बनाकर अक्सर ब्राह्मणवादी वाङ्मय में व्याप्त उन तमाम सामाजिक असमानताओं को ढंकने का फूहड़ प्रयास किया जाता रहा है, जो कि भारतीय सामाजिक ढांचे को बिगाड़ती रही हैं।...
बहस-तलब : ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ क्या वेद वाक्य है?
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ जैसी तमाम उक्तियों को ढाल बनाकर अक्सर ब्राह्मणवादी वाङ्मय में व्याप्त उन तमाम सामाजिक असमानताओं को ढंकने का फूहड़ प्रयास किया जाता रहा है, जो कि भारतीय सामाजिक ढांचे को बिगाड़ती रही हैं।...
महुआ डाबर : सामने आया साहसी पसमांदा मुसलमानों का एक गुमशुदा गांव
महुआ डाबर पहुंचे बुनकरों में कुछ ऐसे भी थे, जिनके पूर्वजों के हाथ अंग्रेजों ने काट डाले थे। उनके मन में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश था। इसलिए 1857 में विद्रोह की चिंगारी जब महुआ डाबर...
आंखों-देखी : जुबान बंद, आंखें दे रहीं लखबीर सिंह के मारे जाने की गवाही
बीते 15 अक्टूबर, 2021 को सिंघु बार्डर पर एक दलित की बर्बर हत्या कर दी गई। उसके उपर...
नाथ पंथ और मछन्दरनाथ
वैचारिक स्तर पर सिद्धों और नाथों में काफी समानताएं हैं। दोनों ने लोक भाषा में काव्य-रचना की है।...
नाथ पंथ और मछन्दरनाथ
वैचारिक स्तर पर सिद्धों और नाथों में काफी समानताएं हैं। दोनों ने लोक भाषा में काव्य-रचना की है।...
सपा-बसपा नेतृत्व का वैचारिक दिवालियापन
निश्चित रूप से इन दोनों पार्टियों के सलाहकार ब्राह्मण हैं, जो इन पार्टियों में शायद नंबर दो की...
और आलेख