बसपा की आदत अपने उम्मीदवारों को टिकट देकर भूल जाने की है। उम्मीदवारों को अपने दम पर चुनाव लड़ना पड़ता है। पार्टी न तो उम्मीदवारों की मदद करती है और न प्रचार में कोई सक्रिय सहयोग करती है। इसका ख़ामियाज़ा उसे भुगतना पड़ता है। बता रहे हैं सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा