डॉ. रोज केरकेट्टा के भीतर सवर्ण समाज के ज़्यादातर प्रोफेसरों की तरह ‘सभ्य बनाने’ या ‘सुधारने’ की मानसिकता नहीं थी। वे केवल एक शिक्षिका नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की प्रतिनिधि स्वर बनकर हमारे बीच उपस्थित रहीं। उन्होंने न्याय की मांग की। अपने समाज, सत्ता, और संपूर्ण मानवता से लगातार सवाल पूछे। उन्हें श्रद्धांजलि दे...