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आंखन-देखी : कुंभ में दक्खिन टोले के वाशिंदे

कुंभ में ठेके पर काम करने वाले सफ़ाईकर्मियों को चिंता है कि हर साल की तरह इस बार भी उनका आख़िरी एक महीने का पैसा लेकर ठेकेदार भाग न जाएं। गौरतलब है कि हर साल मेला खत्म होने के बाद कई ठेकेदार सफ़ाईकर्मियों का पैसा लेकर भाग जाते हैं। इसे लेकर सफ़ाईकर्मी हर साल...

आंखन-देखी : कुंभ में दक्खिन टोले के वाशिंदे
कुंभ में ठेके पर काम करने वाले सफ़ाईकर्मियों को चिंता है कि हर साल की तरह इस बार भी उनका आख़िरी एक महीने का...
सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के घटने और निजी क्षेत्र में बढ़ने से क्या खो रहे हैं दलित, आदिवासी और ओबीसी?
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर अर्थव्यवस्था को ऐसी शक्ल पिछले 25 वर्षों में दे दी गई है कि सवर्णों को बहुलांश नौकरियों...
विद्रोह नहीं तो साहित्य नहीं, 19वें विद्रोही मराठी साहित्य सम्मेलन में बोले कंवल भारती
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर यह मांग भी की गई कि सावित्रीबाई फुले की सह-शिक्षिका फातिमा शेख के लिए एक स्मारक बनाया जाए। इसके...
कुंभ पर तार्किक और ऐतिहासिक बातें करने वाले दलित-बहुजनों का उत्पीड़न
पोलियो के कारण विकलांग होने के बावजूद मध्य प्रदेश के विवेक पवार का हौसला बुलंद है। उन्होंने प्रयागराज में चल रहे कुंभ की स्वच्छता...
क्यों और कौन डरता है बाबासाहब डॉ. आंबेडकर के नाम से?
कहा जा रहा है कि डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर हथौड़ा चलाने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं था। इस पर यह प्रश्न...
सवर्ण व्यामोह में फंसा वाम इतिहास बोध
जाति के प्रश्न को नहीं स्वीकारने के कारण उत्पीड़ितों की पहचान और उनके संघर्षों की उपेक्षा होती है, इतिहास को देखने से लेकर वर्तमान...
त्यौहारों को लेकर असमंजस में क्यों रहते हैं नवबौद्ध?
नवबौद्धों में असमंजस की एक वजह यह भी है कि बौद्ध धर्मावलंबी होने के बावजूद वे जातियों और उपजातियों में बंटे हैं। एक वजह...
संवाद : इस्लाम, आदिवासियत व हिंदुत्व
आदिवासी इलाकों में भी, जो लोग अपनी ज़मीन और संसाधनों की रक्षा के लिए लड़ते हैं, उन्हें आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत गिरफ्तार किया...
ब्राह्मण-ग्रंथों का अंत्यपरीक्षण (संदर्भ : श्रमणत्व और संन्यास, अंतिम भाग)
तिकड़ी में शामिल करने के बावजूद शिव को देवलोक में नहीं बसाया गया। वैसे भी जब एक शूद्र गांव के भीतर नहीं बस सकता...
ब्राह्मणवादी वर्चस्ववाद के खिलाफ था तमिलनाडु में हिंदी विरोध
जस्टिस पार्टी और फिर पेरियार ने, वहां ब्राह्मणवाद की पूरी तरह घेरेबंदी कर दी थी। वस्तुत: राजभाषा और राष्ट्रवाद जैसे नारे तो महज ब्राह्मणवाद...
‘गाडा टोला’ : आदिवासी सौंदर्य बोध और प्रतिमान की कविताएं
कथित मुख्य धारा के सौंदर्य बोध के बरअक्स राही डूमरचीर आदिवासी सौंदर्य बोध के कवि हैं। वे अपनी कविताओं में आदिवासी समाज से जुड़े...
स्वतंत्र भारत में पिछड़ा वर्ग के संघर्ष को बयां करती आत्मकथा
ब्राह्मण या ऊंची जातियों के जैसे अपनी जाति को श्रेष्ठ बताने की अनावश्यक कोशिशों को छोड़ दें तो हरिनारायण ठाकुर की यह कृति स्वतंत्र...
दलित साहित्य में समालोचना विधा को बहुत आगे जाना चाहिए : बी.आर. विप्लवी
कोई कुछ भी लिख रहा है तो उसका नाम दलित साहित्य दे दे रहा है। हर साहित्य का एक पैरामीटर होता है। दलित साहित्य...
जब मैंने ठान लिया कि जहां अपमान मिले, वहां जाना ही नहीं है : बी.आर. विप्लवी
“किसी के यहां बच्चे की पैदाइश होती थी तो वहां नर्सिंग का काम हमारे घर की औरतें करती थीं। बच्चा पैदा कराना तथा जच्चा...
पेरियार पर केंद्रित एक अलग छाप छोड़नेवाली पुस्तक
यह किताब वस्तुनिष्ठ स्वरूप में पेरियार के जीवन दर्शन के वृहतर आयाम के कई अनछुए सवालों को दर्ज करती है। पढ़ें, अरुण नारायण की...
रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...
जब नौजवान जगदेव प्रसाद ने जमींदार के हाथी को खदेड़ दिया
अंग्रेज किसानाें को तीनकठिया प्रथा के तहत एक बीघे यानी बीस कट्ठे में तीन कट्ठे में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते...
डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...